लेखनी प्रतियोगिता -10-Jul-2023.... कर्ज....
तंग आ गया हूँ मैं तुमसे.... रोज़ रोज़ की किचकिच से थक गया हूँ..।
गुस्से में तिलमिलाता हुआ मैं चप्पल पहनकर घर से बाहर निकल गया....। घर से कुछ दूरी पर ही एक बगीचा था...। मैं अक्सर पत्नी से बहस करके वहां चला जाता था...। आज भी कदम खुद ब खुद उस ओर चल दिए...।
थोड़ी देर में ही बगीचे में पहुंचा ओर एक बैंच पर जाकर बैठ गया...। कुछ देर बाद एक बुजुर्ग शख्स मेरे पास आया ओर बोला :- क्या बात हैं बेटा... आज फिर बीवी से झगड़ा हुआ क्या..?
आप...आपको.... कैसे पता...?
क्या आप मुझे जानते हैं..?
जानता तो नहीं बेटा.... पर अक्सर तुम्हें यहाँ आते देखता हूँ...। तुम जिस तरह से बुदबुदाते हुए ओर गुस्से में यहाँ आते हो... उससे मैं समझ जाता हूँ की जरुर कुछ बात हुई होगी..।
लेकिन आपको कैसे पता मैं अपनी पत्नी से ही झगड़ा करके आता हूँ...।
वो बुजुर्ग मेरे पास बैठकर बोला :- बेटा... इस परिस्थिति से मैं भी गुजरा हुआ हूँ...।
ओहह तो.... इसका मतलब आप भी अपनी पत्नी से परेशान हैं..।
बुजुर्ग मुस्कुरा कर बोला :- बेटा... ठंड बहुत ज्यादा हैं...। घर जाओ... ओर शांत हो जाओ.. ये सब तो चलता रहता हैं..।
माफ़ करना बाबा... लेकिन मैं अब थक गया हूँ.....। रोज़ रोज़ की किचकिच से उब गया हूँ....। उस घर में अब मेरा दम घुटता हैं..।
वो सब मैं समझ सकता हूँ बेटा... इसलिए कह रहा हूँ..। घर जाकर.... साथ बैठकर समस्या सुलझाई जा सकतीं हैं...।
मैं मुस्कुरा कर बोला :- बाबा.... आप मुझे घर जाने को बोल रहें हैं.... लेकिन आप खुद भी तो अपनी पत्नी से परेशान होकर यहाँ बैठे हैं...।
बुजुर्ग फिर मुस्कुरा कर बोला :- बेटा.... मुझे परेशान करने वाली तो अब इस दुनिया में ही नहीं रहीं...। दस महीने हो गए उसे गुजरे हुए......। जब तक थीं... तब तक मैं भी अक्सर हर छोटी छोटी बात पर उससे गुस्सा होकर...उसपर चिल्ला कर यहाँ आ जाता था...। लेकिन उसके चले जाने के बाद मुझे समझ आ रहा हैं की मैंने क्या खोया हैं..।
आज बच्चे अपनी दुनिया में मस्त हैं... धन - दौलत... ऐशोआराम की सब चीजें हैं मेरे पास....। लेकिन मुझे बात बात पर टोकने वाली... बीमार पड़ने पर मेरे लिए परेशान होने वाली.. रोज़ मुझसे लड़ने झगड़ने वाली... मेरे पास नहीं हैं....। उसके रहते मैने कभी उसकी कदर नहीं की...। लेकिन उसके जाने के बाद मुझे पता चला वो धड़कन थीं.... सिर्फ मेरी ही नहीं.... मेरे घर की भी...।
पत्नी क्या होतीं हैं ये मुझे उसके चले जाने के बाद अहसास हुआ...। उसका कर्ज तो मैं कभी नहीं उतार पाऊंगा बेटा... लेकिन तुम्हारे पास अभी वक्त हैं.... वक्त रहते उसका कर्ज अदा कर दो.... वरना मेरी तरफ़ सिर्फ पछतावा रह जाएगा....।
बुजुर्ग की आंखों में दर्द और आंसूओ का सैलाब था...। मैंने बिना कुछ बोले उनको सीने से लगाया ओर फौरन घर की ओर चल दिया...। दूर से देखा तो मेरी पत्नी दरवाजे पर खड़ी मेरी राह देख रहीं थीं...।
पास में पहुंचा ही था की उसने कहा :- कहाँ चले गए थे... बाहर कितनी ठंड हैं... आपको पता हैं ना आपसे ठंड बर्दाश्त नहीं होतीं... कम से कम स्वेटर या शाल तो लेकर जाते... ओर ये क्या.... पैरों में जुराब भी नहीं पहनी हैं.. हद करते हैं...बिना जुराब के आपको जुकाम हो जाता हैं.... पता हैं ना....।।
मैंने उसकी तरफ़ पास आकर कहा :- मुझे इतना भाषण सुना रहीं हो.... लेकिन तुम भी तो इतनी ठंड में बिना कुछ ओढ़े दरवाजे पर खड़ी हो..। क्या तुम्हें ठंड नहीं लगती...।
वो कुछ नहीं बोलीं..... शायद पहली बार मैंने उसकी फिक्र की थीं....। मेरी बात सुनते ही उसकी आंखें भर आई और हम दोनों ने आंखों ही आंखों में आज एक दूसरे के लिए अथाह प्रेम देखा...।
मैं उसे गले से लगाकर भीतर ले आया...।
बुजुर्ग की बातें मेरे जहन में घर कर गई थीं....। सच कहूं तो उस रात मैं ठीक से सो ही नहीं पाया... क्योंकि सच तो ये ही था की मैं और मेरा घर.... मेरी पत्नी के बिना विरान हो जाते...। मैं कितना भी कर लूँ लेकिन उसका कर्ज शायद में कभी ना चुका पाऊँ.... पर हां मैंने एक छोटी सी शुरुआत कर दी थीं....। कुछ उसको समझने की.. कुछ खुद को समझाने की....।
छोटी सी हैं जिंदगी ....
हंस कर गुजार लिजिए.... ।।
कुछ मुस्कुरा कर तो....
कुछ नजर अंदाज कर दिजिए..।।
#दैनिक प्रतियोगिता के लिए.....
RISHITA
23-Jul-2023 12:56 PM
Very nice
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Punam verma
11-Jul-2023 03:17 PM
Very nice
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Varsha_Upadhyay
11-Jul-2023 12:31 AM
बहुत ख़ूब
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